बहुत तलाशा उसे मगर वो नज़र नही आया, मैंने बहुत कोशिश की बन जाऊ उसके जैसा, मगर ये बेवफाई का हुनर मुझे अब तक नही आया, तेरे बाद और सिवा तेरे खुदा की कसम कोई मुझे याद इस कदर नही आया। ...
मत समझिये इसे खेल के लिख देते है हर रोज़ दिल का हाल, हर रोज़ उसी दर्द के तालाब में गोता लगाना पड़ता है गर लिखना हो जो शेर तो दानिस्ता खुद को जलाना पड़ता है, हर रोज़ उसकी बेफिक्री के हा...
बहुत ही उम्दा 👌
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